भगवान भोलेनाथ एकमात्र ऐसे भगवान है जो केवल जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं उनकी लीला अपरंपार है वो देवों के देव महादेव है । वह महाकाल है, आज हम बात करेंगे भोलेनाथ के ऐसे मंदिर बारे में जो रहस्य से भरा हुआ है कहा जाता है कि यह मंदिर 40 साल में बना। यही नहीं इस मंदिर की दीवारों को थप थप आने पर डमरू की आवाज आती है जो काफी रेस में है।
जटोली शिव मंदिर
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित है। इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर भी माना जाता है। इस मंदिर का नाम जटोली शिव मंदिर है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फुट है। इस मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने पर डमरू जैसी आवाज आती है। जिस कारण अब तो यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं।
स्वयं भोले बाबा आए थे इस स्थान पर
कहा जाता है कि पौराणिक काल में भोलेबाबा भी यहां आए थे और कुछ समय के लिए रहे थे। आपको बता दें 1950 के दशक में स्वामी कृष्णानंद परमहंस नाम के एक बाबा यहां आए। जिनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। साल 1974 में उन्होंने इस मंदिर की नींव रखी थी। हालांकि 1983 में उन्होंने समाधि ले ली, लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य नहीं रुका। इसका कार्य मंदिर प्रबंधन कमेटी देखने लगी। इस मंदिर को पूरी तरह तैयार होने में तकरीबन 39 साल का समय लगा।
यहां के पानी से ठीक हो जाती है गंभीर बीमारी
कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाया जाए तो भगवान भोलेनाथ जल से ही खुश हो जाते हैं मान्यता है कि जटोली में पानी की समस्या थी। जिससे राहत दिलाने के लिए स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। इसके बाद त्रिशूल के प्रहार से जमीन से पानी निकाला।जिसके बाद से आज तक जटोली में कभी भी पानी की समस्या नहीं हुई। यही नहीं कहते हैं कि इस पानी को पीने से गंभीर से गंभीर बीमारी भी ठीक हो सकती है
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