पूरे देश में होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली का जश्न मनाते हैं। लेकिन होली से 1 दिन पहले ही होलिका दहन किया जाता है, जिसे आप और हम सब छोटी होली के नाम से जानते हैं लेकिन क्या है इसका महत्व क्या आप जानते हैं?
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क्यों मनाया जाता है होलिका दहन
होली का त्यौहार जल्दी आने वाला है सभी लोग गुजिया और रंगों होली खेलने के लिए तैयार हैं लेकिन उस से 1 दिन पहले होलिका दहन है जो कि इस बार 7 मार्च को मनाई जाएगी 8 मार्च को बड़ी होली मनाई जाएगी, हमारे धर्म में होलिका दहन का भी अपना एक विशेष महत्व होता है और इसके पीछे एक कथा भी प्रचलित है।
पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री विष्णु के कई भक्त है, जिनमें से एक भक्त का नाम प्रहलाद था, प्रहलाद का जन्म असुर कुल में होने के कारण प्रहलाद के पिता राजा हिरण्यकश्यप को विष्णु भगवान के प्रति अपने पुत्र की आस्था बहुत खटकती थी,लेकिन प्रहलाद को इन सब से लेना देना नही था वो तो भगवान बिष्णु जी की भक्ति में मगन था।
उनके पिता ने उन्हें बहुत समझाया लेकिन लाख समझने के बाद जब प्रहलाद ने भक्ति नहीं छोड़ी तो पिता हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत सी यातनाएं दीं। लेकिन हर बार भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बच जाता था।बार बार हारने के बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी असुरी बहन होलिका का सहारा लिया, उनकी बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान था,जिसके बाद होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठा दिया और हिरण्यकश्यप ने चारों अग्नि जला दी। अग्नि में ना जलने का वरदान होने के बाद भी होली का आग में भस्म हो गई, और और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सही सलामत अग्नि से बाहर निकले,उसके बाद से ही होली के 1 दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है, इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है
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