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संस्कृति

क्यों मनायी जाती है बसंत पंचमी,आप भी जाने

आज पूरे देश में बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती के अवतरण दिवस में रूप में मनाया जा रहा है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है।

क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी संसार के भ्रमण पर निकले थे। उन्होंने जब सारा ब्रह्माण्ड देखा तो तारो तरफ खामोशी छाई हुई थी। इसे देखने के बाद उन्हें लगा कि संसार की रचना में कुछ कमी रह गई है। जिसके बाद ब्रह्माजी एक जगह पर रुक गए और उन्होंने अपने कमंडल से थोड़ा जल निकालकर छिड़क दिया। तो एक महान ज्योतिपुंज में से एक देवी प्रकट हुईं, जिनके हाथों में वीणा और चेहरे पर बहुत ज्यादा तेज था। यह देवी थीं मां सरस्वती. ब्रह्माजी ने सरस्वती से कहा कि इस संसार में सभी लोग मूक है। ये सभी लोग बस चल रहे हैं  ये लोग आपस में बातचीत नहीं कर पाते हैं। इस पर देवी सरस्वती ने पूछा की प्रभु मेरे लिए क्या आज्ञा है? ब्रह्माजी ने कहा देवी आपको अपनी वीणा की मदद की इन्हें ध्वनि प्रदान करनी होगी। ताकि ये लोग आपस में संवाद कर सकें। इसके बाद मां सरस्वती ने सभी को आवाज प्रदान करी।बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है । इस दिन लोगों को पीले रंग के कपडे पहन कर पीले फूलो से देवी सरस्वती की पूजा करते है और लोग पतंग उड़ाते और खाद्य सामग्री में मीठे पीले रंग के चावाल का सेवन करते है. पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है।

बसंत पंचमी

 

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