घर में जब भी कोई शुभ काम होता है, तो श्री गणेश जी को याद किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते है की गणेश जी के बिना हर विवाह अधूरा होता है।
गणेश पुराण के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी का विवाह हो रहा था। जब भगवान विष्णु जी की बारात जा रही थी। तब सभी देवता भगवान विष्णु की बारात में शामिल हुए, लेकिन गणेश जी को घर की देख रेख का काम सौंप दिया गया। तभी नारद मुनि गणेश जी के पास आए और भगवान गणेश जी से पूछने लगे की आप भगवान विष्णु जी की बारात में क्यों शामिल नहीं हुए। जिस पर गणेश जी ने क्रोधित हुए और बोला कि उन्हें निमंत्रण नहीं मिला।
जिसके बाद श्री गणेश ने मूषक सेना को आदेश दिया की जहां भगवान विष्णु की बारात जा रही हो उस जगह को खोद दिया जाए। जैसे भगवान विष्णु जी की बारात वहां पहुंची तो उनका रथ का पहिया मिट्टी में धास गया।
उसी बीच नारद मुनि वहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि गणेश जी को बारात में न बुलाने से वह नाराज हैं, जिसके कारण उनके विवाह में विघ्न आया। तभी भगवान विष्णु जी को याद आया की उन्होंने प्रथम पूज्य गणेश जी को नहीं बुलाया।
जिसके बाद गणेश जी को विवाह में शामिल किया गया। तबसे विवाह में विघ्न हरने के लिए विघ्न हरता गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।
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