बागेश्वर जिले में खड़िया खनन (Chalk Mining) के परिणाम लोगों के लिए अब खतरा पैदा कर रहे हैं। वर्तमान में 131 परिवार भूस्खलन के खतरे में हैं जिनमें से 80 परिवार सीधे खनन क्षेत्र से प्रभावित हैं। कांडा तहसील के 25 मकानों में दरारें आ गई हैं और आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मां कालिका मंदिर भी सुरक्षित नहीं रह पाया है। खनन की गतिविधियां पहाड़ों के लिए एक बड़ा खतरा बन रही हैं। जिले में 131 खड़िया खदानों की स्वीकृति दी गई है जिनमें से 59 वर्तमान में सक्रिय हैं। बारिश के मौसम के दौरान खनन कार्य बंद था, लेकिन कांडा क्षेत्र में आधा दर्जन खानें स्वीकृत हैं, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा पर गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है। कन्याल, अन्नपूर्णा, गणवा सिरमोली और धपोली जैसे क्षेत्रों में अवैध खनन की गतिविधियाँ जारी हैं।
बागेश्वर जिले में खनन की गतिविधियाँ ग्रामीणों के खेतों, गौचर भूमि, पनघट, रास्तों और प्राकृतिक स्रोतों के अस्तित्व को समाप्त कर रही हैं। पिछले साल कांडा कन्याल में खनन के कारण शंकराचार्य द्वारा स्थापित मां कालिका मंदिर, गैस गोदाम और राबाइंका कांडा को खतरे का सामना करना पड़ा। इसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने एक खड़िया खान को बंद कर दिया, लेकिन अन्य खानों में अवैज्ञानिक तरीके से खनन जारी रहा।
Add Comment