केदारनाथ यात्रा के दौरान नए रास्ते के निर्माण से न केवल केदारनाथ धाम तक पहुंच आसान होगी, बल्कि वर्तमान मार्ग पर बढ़ते मानवीय दबाव को भी कम करने में मदद मिलेगी। जून 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक का लगभग 7 किमी का रास्ता पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। उस समय नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दायीं तरफ 9 किमी का नया मार्ग तैयार किया, जिसका उपयोग पिछले दस वर्षों से किया जा रहा है। हालांकि, यात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि के कारण इस पैदल मार्ग पर दबाव बढ़ रहा है। हालिया आपदा ने इस नए मार्ग को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है। वर्तमान में मार्ग का सुधार जारी है, लेकिन क्षेत्र में लगातार भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। ऐसे में पुराने मार्ग को पुनर्जीवित किया जा रहा है
सर्वे के आधार पर रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक रास्ता निर्माण का कार्य पिछले दो सप्ताह से लोक निर्माण विभाग की टीम द्वारा जारी है। मार्ग को सरल बनाया जा रहा है ताकि यात्रियों की गरुड़चट्टी तक पहुंच आसान हो सके। इस मार्ग के पूरा होने पर केदारनाथ तक पहुंच संभव होगी क्योंकि गरुड़चट्टी से केदारनाथ तक 3.5 किमी का रास्ता पहले से मौजूद है। इसके अलावा मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर एक नया पुल भी तैयार हो चुका है। पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ की पैदल यात्रा को वन-वे किया जाएगा, जिसमें यात्री नए रास्ते से धाम पहुंचेंगे और दर्शन के बाद पुराने रास्ते से वापस लौटेंगे। नई व्यवस्था के तहत घोड़ा-खच्चरों का संचालन भी संभव होगा, जिससे पुराने रास्ते पर पैदल आवाजाही भी हो सकेगी। इस प्रकार गरुड़चट्टी में आपदा के बाद फैली सन्नाटे की स्थिति भी समाप्त होगी।
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