दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर जल्द ही वाहन दौड़ने लगेंगे। दिसंबर के अंत तक गागलहेड़ी से डॉट काली माता मंदिर तक 42 किलोमीटर के हिस्से को यातायात के लिए खोलने की योजना है, जिसमें शिवालिक पहाड़ियों के बीच 12 किमी लंबा एलिवेटेड रोड भी शामिल है। इससे पहाड़ी क्षेत्र में लगने वाले जाम से राहत मिलेगी और यात्री प्राकृतिक दृश्यों का आनंद उठा सकेंगे। 13000 करोड़ की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेस-वे तीन राज्यों दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाएगा। इसका निर्माण अब अंतिम चरण में है। शिवालिक जंगल और राजाजी नेशनल पार्क के वन्य जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह एलिवेटेड रोड तैयार किया गया है। 210 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे का अंतिम चरण, गागलहेड़ी से डाट काली माता मंदिर तक 42 किमी की दूरी को कवर करता है, जो अब पूरा होने के कगार पर है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रदीप गोंसाई ने बताया कि गागलहेड़ी से डाट काली मंदिर तक एक्सप्रेसवे और एलिवेटेड रोड का काम अब अंतिम चरण में है। लक्ष्य है कि दिसंबर के अंत तक इस हिस्से को यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। गणेशपुर से आसारोडी तक का यह एलिवेटेड रोड एशिया का सबसे लंबा वन्य जीव गलियारा है, जहां 100 किमी की गति से वाहन चल सकेंगे। जानवरों की सुरक्षा और शांति के लिए साउंड और लाइट बैरियर्स लगाए गए हैं, साथ ही हाथी और अन्य जीवों के लिए अंडरपास भी बनाए गए हैं।
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