बुरांश ये नाम उत्तराखंड के कण कण में बसा है, इस नाम से उत्तराखंंडवासी वाकीफ है, बुरांश का फूल न सिर्फ दिखने में खुबसूरत है ब्लकि बुरांश कई बिमारियों का भी बेजोड़ इलाज है,इसी कारण इसे देवभूमि का राज्य वृक्ष कहा गया है .
उत्तराखंड में प्रकृति 12 माह अपनी छटा बिखरी रहती है।लेकिन बसंत ऋतु की बात ही कुछ और है, इस ऋतु के आने पर पहाड़ो की खूबसूरती कई गुना बढ़ जाती है,चारों ओर फूल और हरी घास,साथ ही इस महिनें में खिलने वाला एक फूल जो खुबसूरत होने के साथ साथ उत्तराखंड के लिए दवा भी है, जिसका बुरांश है।
बुरांश के फूल
इस महिनें उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बुरांश अपनी लालीमा बिखेर रहा है , आप सभी लोगों ने लाल बुरांश तो देखे ही है , लेकिन अब पर्वतीय इलाकों में गुलाबी और सफेद बुरांश भी नजर आने लगे हैं। बुरांश का वृक्ष न सिर्फ सुंदरता बल्कि अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है, यही वजह है की नेपाल ने इसे अपना राष्ट्रीय पुष्प बनाया है। आप को बता दे की बुरांश का सामान्य वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम है। यह अफ्रीका के जंगलों और दक्षिणी अमेरिका को छोड़कर विश्व के सभी नमी युक्त क्षेत्रों में पाया जाता है। बुरांश की लगभग 1025 प्रजातियां सिर्फ एशिया में पाई जाती हैं।
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बुरांश के फूल के स्वास्थ्य लाभ
कर्णप्रयाग के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंद्रेश पांडेय का कहना हैं कि बुरांश में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, एंटी डायरिल और हिपेटोप्रोटिक्टिव एक्टिविटी पाया जाता है । आयरन की कमी, हीमोग्लोबिन बढ़ाने और हृदय संबंधी रोगों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है। दिल संबंधी बीमारियों के साथ ही कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने में भी बुरांश का इस्तेमाल किया जाता है।
कहा पाया जाता है बुरांश ?
आप को बता दे की बुरांश का सुंदर फूल बुरांश का फूल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है।और ये दिखने में काफी सुंदर लगता है। उत्तराखंड में बुरांश के पेड़ 1500 से 3600 मीटर ऊंचाई तक पाए जाते हैं। राज्य में इसके फूल से जूस समेत कई उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिला है।
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