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उत्तराखंड संस्कृति

उत्तराखंड में शहीदों का गांव, यहां हर घर का एक सपूत भारतीय सेना में

 

देवभूमि उत्तराखंड सदियों से वीर सपूतों की जननी रही 

चमोली जनपद के देवाल का सवाड़ गांव के हर घर में है सैनिक

शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है सवाड़ गांव

 

 आज़ादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,

शहारी की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे,

बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की, 

तब तक भारत का आंचल नीलाम नहीं होने देंगे….

इस गांव में जब जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो, लोग कहते हैं भारतीय सेना को एक और वीर जवान मिल गया है…. जी हां कुछ कैसा आप भी कहेंगे जब जानेंगे उत्तराखंड के एक इस गांव के बारे में जहां घर घर में भारतीय सेना का वीर जवान है… हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की शांत वादियों में स्थित चमोली जिले के दूरस्थ गांव स्वाड गांव के बारे में….

देवभूमि उत्तराखंड सदियों से वीर सपूतों की जननी रही है। यहां पैदा हुए लाल समय-समय पर देश की आन बान शान की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर देते है। ऐसा ही एक गांव चमोली जनपद के देवाल का सवाड़ भी है, जिसे शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है।

इस गांव के 22 सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनकर अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। उनकी याद में हर साल सवाड़ गांव में अमर शहीद सैनिक मेला,,, सैनिक दिवस पर लगया जाता है। सालों से इस गांव का सैन्य इतिहास रहा है।

 आज भी इस गांव 115 सैनिक सेना में सेवारत है। जबकि (अठाईस)  वीरांगनाएं , (बहतर) पूर्व सैनिक है। गांव का सैन्य इतिहास यह है कि प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1919 तक 22 सैनिकों ने ब्रिटिश सेवा का हिस्सा बनकर जर्मनी की तानाशाही के विरुद्ध लड़ाई लडी थी । जिसमें से दो शहीद हुए हैं। इन जांबाजों के नाम सवाड गांव में स्थापित स्मारक में भी दर्ज है।

देश सेवा के प्रति यहां के ग्रामीणों का जज्बा ही है कि जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा तो उस युद्ध में भी ब्रिटिश सेना की ओर से इस गांव के 38 व्यक्तियों ने हिस्सा लेकर अपनी वीरता का लोहा मनवाया। भारत की आजादी के दौरान ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हुई लड़ाइयों में भी इस गांव के वीर सैनिकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।देश की आजादी के लिए चले पेशावर कांड में सवाड़ गांव के 17 सैनिकों ने भाग लिया। आज भी इस गांव के कई व्यक्ति सेना में तैनात होकर देश की सरहदों और आंतरिक सुरक्षा में जुटे हुए हैं। यहां से प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले वीरों की याद में शिलापट्ट भी लगाया गया है, जो अमर शहीद स्मारक के रूप में जाना जाता है।

मैं मुल्क की हिफाजत करूंगा, ये मुल्क मेरी जान है। इसकी रक्षा के लिए, मेरा दिल और जां कुर्बान है…यह पंक्तियां सरहद पर मुस्तैद हर वीर पर सटीक बैठती है जो देश की सेवा में अपनी जान कुरबान कर देते है, औऱ भारत मां की आन बान और शान पर आंच नहीं आने  देते

 

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