उत्तराखंड के चारों तरफ हरियाली और ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ प्रदेश की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।यही नहीं उत्तराखंड के कण कण में देवों का वास है शायद इसलिए इसे देवभूमि कहा जाता है,धर्म स्थल होने की वजह से यहां बारहों महीने भक्तों का तांता लगा रहता है।
हम बात कर रहे है उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार के प्रसिद्ध श्री सिद्धबली मंदिर के बारे में ,यहां प्रदेश से ही नहीं बल्कि पूरे देश से भक्त भगवान के दशन के लिए आते है। कोटद्वार में पौराणिक खोह नदी के तट पर सिद्धों का डांडा में विराजते हैं श्री सिद्धबली।कहते है की यहां सच्चे मन से पूजा अर्चना की जाए तो मुराद जरूर पूरी होती है। श्री सिद्धबली मंदिर में मनोकामना पूरी होने के बाद यहां मुराद पूरी होने पर भंडारा देया जाता है।हनुमान जी ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। सिद्धबली मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। यहां प्रसाद के तौप पर गुड़,बताशे और नारियल चढ़ाया जाता है।
सिद्धबली मंदिर का पौराणिक इतिहास
श्री सिद्धबली हनुमान मंदिर खोह नदी के किनारे करीब 40 मीटर ऊंचे टीले पर स्थित है।माना जाता है की हनुमान जी के इस मंदिर से आज तक कोई भी खाली नही लौटा,वही सिद्धबली मंदिर का पौराणिक मानयाता के अनुसार यहां पर हनुमान जी ने अपना रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का रास्ता रोक लिया था। जिसके बाद कई दिनों तक दोनों में भयंकर युद्ध हुआ।जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमान जी ने अनपा रूप धारण किया और सिद्धबाबा से वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद बाबा सिद्ध ने हनुमान जी से वही रुकने की प्रार्थना की,जिसके बाद से ही हनुमान जी वहां के हो गए, इसी के बाद से ही सिद्धबाबा और बजरंग बली के नाम पर इस स्थान का नाम ‘सिद्धबली’रखा गया। माना जाता है की बजरंग बली अपने भक्तों की मदद करने को साक्षात रूप में यहां विराजमान रहते हैं।
Add Comment