देवभूमि उत्तराखंड का पहनावा पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है,अपनी परम्परागत वेशभूषा के लिए उत्तराखंड पूरे देश में जाना जाता है.जैसा हम सभी जानते है की आभूषण हर महिला के श्रृगांर का अहम हिस्सा है.वही उत्तराखंड की पहचान अगर किसी आभूषण को माना गया है तो वो है पहाड़ी नथ जिसे नथुली भी कहां गया है.
उत्तराखंड की महिलाओं को अलग पहचान दिलाता और उनका रूप निखारता है उत्तराखंडी नथ. ऐसा कहा जाता है की परिवार जितना सम्पन्न होगा महिला की नथ उतनी ही भारी और बड़ी होगी.
टिहरी की नथ
नथ दो प्रकार की होती हैं. वैसे तो पहाड़ी क्षेत्र में नथ ही मशहूर है लेकिन टिहरी की नथ उत्तराखंड में सबसे ज्यादा मशहूर है. ऐसा माना जाता है कि नथ का इतिहास तब से है जब से टिहरी में राजाओं का राज्य था और राजाओं की रानियां सोने की नथ पहना करती थी.जैसे-जैसे परिवार में पैसे और धनःधान्य की वृद्धि होती थी नथ का वज़न भी बढ़ता जाता था. हालांकि बदलते वक्त के साथ युवतियों की पसंद भी बदल रही है.
कुमाऊंनी नथ
जैसे गढ़वाल में नथ पहनी जाती है ठीक वैसे ही कुमाऊंनी नथ/नथुली भी लोगों के बीच बहुत पसंद की जाती है. कुमाऊंनी नथ आकार में काफी बड़ी होती है लेकिन इसपर डिजाइन कम होता है.जो लोगो को कीफी पसंद आती है.वही पहले लोग काफी भारी नथ पहनना पसंद करते थे लेकिन आज के दौर में लोग साधराण नथ पहनना पसंद कर रहे है.
नथ की महत्व
उत्तराखंड में नथ काफी महत्व रखती है जहां एक तरफ शादी विवाह में नथ एक अहम भूमिका निभाती है तो वही देवभूमि में बिना नथ के कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. जैसे की शादी घर में हल्दी के दिन सभी विवाहित महिलाए नथ धारण करते है इसे काफी शुभ माना गया है वही उत्तराखंड में दुहल्न को अक्सर उसके मामा नथ को भेंट में देते है,उत्तराखंड में मामा ही नथ देते है,ये उत्तराखंड का एक रिवाज है.
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