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उत्तराखंड

देवप्रयाग:भगवान राम ने की यहां तपस्या

उत्तराखँड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है  और यहा उत्तराखंड की गौद में चारों धाम है देव प्रयाग उत्तराखँड का पावन स्थल है आज हम आपको बताएंगे देवप्रयाग से जुड़े कुछ खास बातें पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम जब लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो भगवान राम को ब्राह्मण हत्या यानी की रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषिमुनि ने सुझाव दिया था कि देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा के संगम तट पर तपस्या करने से ही भगवान श्री राम हत्याके दोष से मुक्ति मिल सकती है इसलिए श्री राम ने नदियों के संगम स्थल के समीप साधना स्थली में एक शिला पर बैठकर तप किया था आपको बता दे की उस शीला पर आज भी ऐसे निशान बने है मानो कोई इंसान वहा पर बैठा हो उत्तराखंड के गढ़वाल छेत्र के लोगो की माने तो भागीरथी नदी को सास और अलकनंदा को यहां पर बहु के रूप में माना और पूजा जाता है  गंगा मां के मंदिर के सामने ही संगम के किनारे पर एक छोटी सी गुफा है ।जो की हनुमान गुफा के नाम से जानी जाती है। हनुमान गुफा के बारे में ये मान्यता है की भगवान हनुमान यहां आए और इस पावन स्थान पर उन्होंने स्नान करने के बाद श्री राम का ध्यान किया। और वर्तमान में देवप्रयाग में एक पहाड़ी में हनुमान जी की मूर्ति भी उभरी है

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